लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
भाग 28
मिस मालती गुप्ता और अनुपमा के बयानों से यह सिद्ध हो गया था कि अनुपमा 31 मई की रात को होटल विजयंत में अपनी प्राकृतिक मां के पास रही थी । होटल के रजिस्टर की एक कॉपी हीरेन ने अदालत में प्रस्तुत कर यह सिद्ध कर दिया था कि मिस मालती देवी होटल विजयंत के कमरा नंबर 123 में ठहरी हुईं थी । शक की अब कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी । इस तरह यह सिद्ध हो गया था कि अनुपमा दिनांक 31 मई को अपने नोएडा स्थित घर पर आई ही नहीं थी ।
अब बारी आई सक्षम की । सरकारी वकील की बहस के अनुसार सक्षम ने अनुपमा और अक्षत को मारने के लिए एक सुपारी किलर राहुल को दस लाख रुपए में हायर किया था जिसकी तस्दीक सक्षम की कंपनी के गार्ड सुभाष ने की थी और सक्षम को पैसे रुस्तम भाई ने प्रदान किये थे । इसलिए सक्षम से इन सबकी तस्दीक करना आवश्यक हो गया था । अत: हीरेन ने सक्षम को विटनेस बॉक्स में बुलाकर पूछताछ प्रारंभ कर दी
"आपका नाम" ?
"सक्षम"
"पूरा नाम" ?
"सक्षम शर्मा"
"कहां रहते हो" ?
"मकान नंबर 104, कस्तूरबा लेन, नोएडा"
"जब आप ऑफिस से घर आते हैं तब क्या मकान खुला मिलता है" ?
"कभी खुला मिल जाता है , कभी नहीं भी मिलता"
"जब घर खुला नहीं मिलता तो फिर क्या करते हो" ?
"मेरे पास एक चाबी रहती है, उसी से खोलकर घर में प्रवेश करता हूं"
"घर की चाबी और किस किस के पास है" ?
"एक चाबी अनुपमा के पास रहती है । एक अक्षत के पास भी है"
क्या कभी ऐसा भी हुआ है कि जब घर बंद हो और कामवाली बाई आई हो" ?
"हां, ऐसा बहुत बार होता है । अनुपमा अपने "उन्नयन" के काम से बाहर जाती ही रहती है और मैं सुबह नौ साढे नौ बजे ऑफिस चला जाता हूं । अक्षत भी दस बजे तक ऑफिस चला जाता है तो फिर घर बंद ही मिलता है"
"बंद घर देखकर कामवाली बाई वापस चली जाती होगी" ?
"नहीं नहीं । अगर वो वापस चली जाएगी तो घर की साफ सफाई, बर्तन वगैरह कौन करेगा ? इसलिए हमने घर की एक चाबी कान्ता बाई जी को भी दे रखी है । जब घर बंद मिलता है तो वे अपने पास रखी चाबी से घर खोल लेती हैं और अपना काम करके लॉक लगाकर चली जाती हैं" ।
"कामवाली बाई पर आपको पूरा भरोसा है ? क्या उसने कोई चोरी वगैरह की है कभी" ?
"जी नहीं, आज तक उसने कभी ऐसा नहीं किया इसलिए हमें उस पर पूरा भरोसा है । तभी तो एक चाबी उसे दे रखी है" । सक्षम पूर्ण विश्वास से बोला
"31 मई की रात को क्या आप दरवाजा खोलकर घर के अंदर घुसे और अपने साथ सुपारी किलर राहुल को भी लेकर आये थे" ?
"मैं उस सुपारी किलर को नहीं जानता हूं इसलिए उसे साथ लाने की बात मनघड़ंत है । मैं तो उस दिन एक पार्टी में था जिसका मैसेज मैंने अनुपमा को भी दे दिया था" ।
"अच्छा अच्छा , आप उस दिन किसी पार्टी में व्यस्त थे । क्या आप अदालत को बताऐंगे कि आप कहां पर कौन सी पार्टी में व्यस्त थे" ?
इस प्रश्न पर सक्षम चुप हो गया और सिर नीचा कर खड़ा रहा
"मैंने कहा बाबू मोशाय कि क्या आप अदालत को यह बताने का कष्ट करेंगे कि आप 31 मई की रात को कौन सी पार्टी में व्यस्त थे" ? हीरेन हाथ नचा नचाकर बोला ।
सक्षम अभी भी चुप रहा । अदालत में सबकी निगाहें सक्षम की ओर उठ गईं थीं । अनुपमा भी सक्षम को लगातार देखे जा रही थी । "ऐसी क्या बात है जो सक्षम उसी की तरह बताना नहीं चाहता है" ? वह मन ही मन कयास लगाने लगी "क्या सक्षम किसी और लड़की से प्रेम करता है और वह उस रात उसके साथ रहा हो ? शायद वह इसीलिए खामोश है कि इससे उसकी और उस लड़की की बदनामी हो जाएगी । पर यदि वह बताएगा नहीं कि वह उस रात कहां था तो यह मान लिया जाएगा कि सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी सही कह रहे हैं और सक्षम को दोषी मान लिया जाएगा । अनुपमा का मन कह रहा था कि हो सकता है सक्षम किसी और लड़की से भी प्यार करता हो पर वह एक कातिल नहीं हो सकता है । हकीकत क्या है यह तो सक्षम ही जानता है । हे भगवान ! अब आप ही मेरी रक्षा करना । मैं अब और कोई नई कहानी सुनना नहीं चाहती हूं" । अनुपमा मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी कि अब और कोई दुखद समाचार नहीं मिले ।
"कुछ तो बोलो , बाबू मोशाय । इस तरह खामोश रहने से काम चलने वाला नहीं है" ? हीरेन अपनी लंबी जुल्फों को झटका देकर ऊपर चढाने में व्यस्त हो गया ।
सक्षम की खामोशी ने जज साहब को भी परेशान कर दिया । कहानी अब तक बड़ी मजेदार चल रही थी लेकिन सक्षम ने उस पर ब्रेक लगा दिया । जज साहब के रंग में भंग पड़ गया था । वे क्रोध में आकर बोले
"ये अदालत है मिस्टर सक्षम, यहां आपसे जो भी पूछा जाता है उसका जवाब देना ही पड़ेगा । अदालत का समय बहुत कीमती है, उसे व्यर्थ मत करो । जल्दी जल्दी उत्तर दो" ।
जज साहब की झिड़की सुनकर सक्षम को बताने को मजबूर होना पड़ा । सक्षम कहने लगा
"30 मई को अनुपमा चंडीगढ चली गई थी । 31 मई को सुबह 8 बजे मेरे दोस्त मनप्रीत का फोन आया कि वह लंदन से आ रहा है । क्यों न आज सभी दोस्त एक पार्टी करें ? मनप्रीत के आने की खबर से मैं बहुत खुश हुआ । मनप्रीत मेरे सबसे अच्छे दोस्तों में से एक है । उसके आने की खबर मैंने अपने सारे दोस्तों को बताई और एक बढिया सी पार्टी रखने को कह दिया । मेरा एक दोस्त राजेश पार्टियों का बड़ा शौकीन है । बड़ा दिलखुश और रंगीन मिजाज है राजेश । हम लोग उसे राजेश खन्ना उर्फ छैला बाबू कहकर बुलाते हैं । मैंने छैला बाबू को मनप्रीत के सम्मान में एक पार्टी रखने के लिए कह दिया और बढिया अरेंजमेंट करने के लिए भी कह दिया । थोड़ी देर में छैला बाबू का फोन आया कि उसने एक पार्टी होटल एक्सोटिका में रखी है । यह होटल मेरे एक दोस्त के भाई की है । मैंने कामवाली बाई को खाना बनाने से मना कर दिया और कहा कि मैं रात को बाहर रहूंगा ।
ऑफिस से मैं सीधा ही होटल एक्सोटिका पहुंच गया । वहां जाकर देखा तो मेरा माथा घूम गया" । इतना कहकर सक्षम चुप हो गया । हीरेन बात आगे बढाने के लिए पूछने लगा
"वहां पर आपने ऐसा क्या देखा कि आपका माथा ही घूम गया ? क्या वहां पर भी किसी का मर्डर हो गया था" ?
हीरेन की बात पर भी सक्षम चुप ही रहा तो हीरेन झुंझला उठा "बाबू मोशाय, ये तुम बात बात पर मुंह में दही जमाकर क्यों बैठ जाते हो ? इससे पहले कि जज साहब कोई विपरीत आदेश दें, चुपचाप बता दो कि आपने वहां क्या देखा" ?
"मैंने छैला बाबू को पार्टी अरेंज करने के लिए कहा था । पर छैला बाबू ने तो एक 'बैचलर पार्टी' अरेंज कर दी थी "। सक्षम दबी जुबान से बोला । सक्षम की बात सुनकर अनुपमा ने घूरकर सक्षम को देखा । हीरेन खुलकर हंस पड़ा और मीना को भी हंसी आ गई । जज साहब ने बैचलर पार्टी का नाम नहीं सुना था इसलिए बोल पड़े
"ये बैचलर पार्टी क्या होती है बरखुरदार" ?
जज साहब की बात पर सक्षम शर्मिन्दा हो गया और हीरेन तथा मीना हो हो कर हंसने लगे ।
"अरे, इतना काहे हंस रहे हैं भाई ? हमने कुछ गलत पूछ लिया है क्या" ? सबको हंसते देखकर जज साहब को गुस्सा आ गया था । उनके गुस्सा प्रकट करते ही पूरी अदालत में सन्नाटा पसर गया । किसी के पास बोलने की हिम्मत ही नहीं थी । तब सरकारी वकील खड़े हुए और कहने लगे
"आजकल के जमाने की नई पार्टी है जज साहब"
"अच्छा ! हमें तो पता ही नहीं चला कि कब एक और नई पार्टी खड़ी हो गई ? ये भी वैसी ही पार्टी है क्या जैसी मुफ्त वाली पार्टी दिल्ली में है" ? जज साहब पूरी तल्लीनता से सब बातें सुनकर रहे थे और अपने राजनैतिक, सामाजिक ज्ञान का प्रदर्शन कर रहे थे ।
"नहीं श्रीमान । यह उस तरह की पार्टी नहीं है । इस पार्टी में बैचलर लड़के या ऐसे पति जिनकी पत्नी किसी भी कारण से उनके साथ नहीं रहती है , की पार्टी होती है । ऐसी पार्टियों में दारू शारू और खाना पीना होता है । इसके अलावा ..."
"इसके अलावा क्या वकील साहब" ? जज साहब अपना चश्मा साफ करते हुए बोले जैसे कि पार्टी सामने ही चल रही हो और उन्हें पुराने चश्मे के कारण दिख नहीं रही हो ।
"अब क्या बताऐं साहब , ऐसी पार्टियों में और क्या होता है ? भरी अदालत में कहते हुए भी सिर शर्म से झुक जाता है । बस यह समझ लो कि ऐसी पार्टियों में सब कुछ होता है । बाकी आप समझदार हैं" नीलमणी त्रिपाठी नाक भौंह सिकोड़कर बोले ।
"अच्छा, तो ऐसी पार्टियों को 'बैचलर पार्टी' कहते हैं ? आपको जरा सी भी शर्म नहीं आई मिस्टर सक्षम ? आप तो विवाहित हैं और आपकी बीवी भी आपके साथ ही रहती हैं । फिर भी" ?
"मैं शर्मिन्दा हूं जज साहब । पर इसमें मेरी गलती नहीं है । आप मुझ पर विश्वास करें या नहीं पर मैं सत्य कह रहा हूं कि मुझे कतई पता नहीं था कि वह पार्टी बैचलर होगी । अगर पता होता तो मैं नहीं जाता" । सक्षम सिर झुकाए ही बोला
"तो जब पता चल गया तब उठकर आ जाते" ?,जज साहब उसे छोड़ने के मूड में नहीं थे शायद ।
"आप ठीक कहते हैं योर ऑनर । मैं भी यही करना चाहता था । जैसे ही मुझे पता चला कि यह बैचलर पार्टी है, मैं तुरंत उठकर खड़ा हो गया लेकिन सब यार दोस्तों ने मुझे जबरदस्ती पकड़कर बैठा लिया । उसी गलती की तो सजा भुगत रहा हूं मैं" कहते हुए सक्षम रो पड़ा ।
गलती इंसान से होती है लेकिन जब किसी इंसान को अपनी गलती का अहसास हो जाए और उसकी आंखों से पश्चाताप के आंसू निकलने लगें तो समझ लेना चाहिए कि उसे पर्याप्त दंड मिल चुका है । सक्षम की ऐसी हालत देखकर अनुपमा पिघल गई और वह सक्षम के पास आकर खड़ी हो गई । अनुपमा का साथ पाकर सक्षम को बहुत आत्मबल मिला और उसने अपना सिर अनुपमा के कंधे पर टिका दिया । अनुपमा उसके बालों में अपना हाथ फिराने लगी । थोड़ी देर में सक्षम नॉर्मल हो गया । अब हीरेन ने फिर से मोर्चा संभाल लिया
"तो आप कब तक रहे उस पार्टी में" ?
"ठीक ठीक समय तो याद नहीं पर रात के करीब तीन बजे होंगे"
"क्या ? तीन बजे ही खत्म हो गई वह पार्टी" ? हीरेन ने आश्चर्य से पूछा "हमने तो सुना है कि ऐसी पार्टी तो सुबह तक चलती हैं"
"जी, आप सही कहते हैं । वह पार्टी समाप्त नहीं हुई थी"
"अरे ! फिर क्या हुआ" ?
"फिर, पुलिस आ गई और हमको पकड़कर थाने ले गई" । सक्षम ने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया
"थाने में कब तक रहे" ?
"थाने में पहुंच कर मुझे याद आया कि मेरा एक दोस्त अंकित IPS बन गया था जो दिल्ली में ही कहीं पोस्टेड है । मैंने उसे फोन किया और सारी बातें बताई तब उसने थाने में फोन कर हमें छोड़ने को कहा । थाने में प्रक्रियाओं में खूब टाइम लगा और हम लोगों को 1 जून को सुबह 8-9 बजे छोड़ा गया" ।
हीरेन ने जज साहब को संबोधित करते हुए कहा
"योर ऑनर । कहते हैं कि चने के साथ साथ घुन भी पिस जाता है । सक्षम के साथ ऐसा ही हुआ है । प्रश्न पार्टी का नहीं है । पार्टी बैचलर थी या अन्य, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है जज साहब । प्रश्न यह है कि 31 मई की रात सक्षम कहां पर था ? इसका जवाब देने के लिए मैं होटल एक्सोटिका के कुछ सीसीटीवी फुटेज प्रस्तुत कर रहा हूं "।
वह जज साहब को सीसीटीवी फुटेज दिखाने लगा और साथ साथ में बताने भी लगा "देखिए हजूर , इस फुटेज में सक्षम होटल में घुसता हुआ दिख रहा है । इस पर टाइम लिखा है 9 PM . ये फुटेज होटल से बाहर निकलने का है इसमें पुलिस इन्हें घसीटकर लाती हुई दिख रही है । इसमें समय है 2.54 AM . इसके अतिरिक्त थाने के सीसीटीवी में भी इन सबके घुसते हुए और बाहर निकलते हुए के फुटेज देखे जा सकते है । थाने से सक्षम 1 जून को करीब 9.15 AM पर बाहर निकला है । इन सबसे सिद्ध होता है कि सक्षम 31 मई की रात अपने घर गया ही नहीं था" ।
हीरेन ने विजयी मुद्रा में अपनी जुल्फें झटकाईं और होंठ गोल गोल कर सीटी बजाने लगा "हमका अइसा वइसा ना समझो हम बड़े काम की चीज , ओ बाबू बड़े काम की चीज" ।
श्री हरि
20.6.23
Gunjan Kamal
24-Jun-2023 12:17 AM
👌👏
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Jun-2023 10:03 AM
🙏🙏
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Shnaya
23-Jun-2023 11:34 PM
V nice
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Jun-2023 10:03 AM
🙏🙏
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Varsha_Upadhyay
23-Jun-2023 02:58 PM
बहुत खूब
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
23-Jun-2023 08:55 PM
🙏🙏
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